“नन्हें फ़रिश्ते हैं हम!
दुनियादारी से बेखबर हैं हम!!
खुल के जीते हैं हर लम्हें को!
आओं मुस्कुरा लो आप भी!!
फिर न कहना काश हम भी! बच्चें होते ”
हम सब के अंदर एक बच्चा छिपा हैं जो जिम्मेदारियों के अंदर कही छुप सा गया हैं, उस बच्चें को वहाँ से निकालिये और फिर से बच्चें बन जाये |